रविवार, 12 मार्च 2017
मेरी डायरी - 2004
मेरी डायरी
प्रेम के खेल की परिपाटी पर
सब अप्रत्याशित पाया है।
कुछ पा कर भी क्या पाऊंगा
जो खो कर मैने पाया है।।
अपने हाल पर खुश हू मै
कुछ अनमोल जो मैने पाया है।
तेरी हर एक याद को मैने
अपने दिल मे समाया है।
तेरे होठो पर इंकार सही
पर दिल मे प्यार समाया है
कुछ पल का ही साथ सही
पर साथ तो तेरा पाया है।
अब तो सब अपना ही है
कुछ भी नही पराया है।
तुम मुझ को ना मिले तो क्या
आँसू ने तो साथ निभाया है।
प्रेम के खेल की परिपाटी पर
सब अप्रत्याशित पाया है।
कुछ पा कर भी क्या पाऊंगा
जो खो कर मैने पाया है।।
अपने हाल पर खुश हू मै
कुछ अनमोल जो मैने पाया है।
तेरी हर एक याद को मैने
अपने दिल मे समाया है।
तेरे होठो पर इंकार सही
पर दिल मे प्यार समाया है
कुछ पल का ही साथ सही
पर साथ तो तेरा पाया है।
अब तो सब अपना ही है
कुछ भी नही पराया है।
तुम मुझ को ना मिले तो क्या
आँसू ने तो साथ निभाया है।
शनिवार, 11 मार्च 2017
अपनत्व
मेरी डायरी सन् २००४
स्वप्नन लोक की पूरी कल्पना,या फिर हो तुम मेरा भ्रम।
तुम ही मेरी सारी खुशियां,तुम ही मेरा सारा गम।।
तुम से मेरी शाम सुहानी,तुम से ही है ये बेरंग।
तेरे आने से जीवन मे , खत्म हुआ मेरा सूनापन।।
तुम को देखा तो ये जाना,कितना मधुर है ये जीवन।
कितना प्यार किया है तुम से,छू कर देखो मेरा मन।।
मेरी हर एक साँस है तेरी, तेरा ही है ये जीवन
अन्तिम इच्छा है ये मेरी , तेरी डोली आए मेरे आँगन।।
स्वप्नन लोक की पूरी कल्पना,या फिर हो तुम मेरा भ्रम।
तुम ही मेरी सारी खुशियां,तुम ही मेरा सारा गम।।
तुम से मेरी शाम सुहानी,तुम से ही है ये बेरंग।
तेरे आने से जीवन मे , खत्म हुआ मेरा सूनापन।।
तुम को देखा तो ये जाना,कितना मधुर है ये जीवन।
कितना प्यार किया है तुम से,छू कर देखो मेरा मन।।
मेरी हर एक साँस है तेरी, तेरा ही है ये जीवन
अन्तिम इच्छा है ये मेरी , तेरी डोली आए मेरे आँगन।।
मंगलवार, 7 मार्च 2017
विरह वेदना
मेरी डायरी (२००३)
हंसना भी वह भूल गया था
और हुआ था वह गंभीर ।
दिल मे छिपी हुई थी पीडा
आँखे से छलक रहे थे नीर।
अजब धैर्य की छमता थी
फिर भी हुआ था वह अधीर।
दिल मे थी जो विरह वेदना
रह रह कर ह्रदय रही थी चीर।
सपने उस के टूट गए थे
बिछड गई थी उस की हीर।
शब्दो से व्यक्त क्या होगी
दिल मे उस के थी जो पीर।
एक तरफ सब रिश्ते थें
एक तरफ थी उस की हीर।
इस मे उस का दोष नही था।
वक्त ने खींची थी ये लकीर ।
।
रिश्तो को वह तोड न पाया
बिछड गई फिर उस की हीर।
दिल की दुनिया उजड चुकी थी
अब तो था वह एक फकीर ।
वक्त ने सब कुछ बदल दिया
पर ना बदली वो तस्वीर
शायद यही जीवन है या
इसी को कहते है तकदीर ।
सौन्दर्यबोध
मेरी डायरी (10/01/2005)
चांद सितारो से भी सुन्दर मेरी मधुबाला का बाला।
जिस दिल पर चमकेे बन बिजली
उस का फिर ईश्वर रखवाला ।
काले बादल से भी काले
कजरारे नयन मतवाले।
जिस पर वह बादल बन बरसे
जीवन भर बिन पानी तरसे।
मधु से मधुर ,मधुर से मधुरम
ऐसी है वह सुन्दर बाला ।
ईश्वर की वह श्रेष्ठ है रचना
प्रकृति ने है उसे निखारा ।
उस बाला के ह्रदय मे सिमटा
मेरी आशाओ का अम्बर सारा ।
कहने को कुछ शेष नही है
क्यो हू मै अपना दिल हारा ।
सोमवार, 6 मार्च 2017
मेरी डायरी 2003
मेरे प्रेम की परिभाषा , तुम ही हो मेरी मधुबाला ।
तुम पर अर्पण तन मन धन और मेरा यह जीवन सारा।।
जीवन की इस कठिन राह पर तू ही तो है एक सहारा ।
अल्प समय आशाए ज्यादा,सतत प्रवाहित जीवन की धारा।।
मेरे मन की चंचलता और ये अनुपम रूप निराला ।
छलका दो अब प्रेम का अमृत या दे दो विष का प्याला।।
अंग अंग से मधुरस छलके , बालो मे जादू काला ।
उस पर ये मुस्कान मनोहर, सौन्दर्य की मूरत मधुबाला ।।
मेरे प्रेम की निश्छलता को शायद तूने ना जाना।
तुम ने मुझ को ठुकराया फिर भी तुम को अपना माना।।
भटके हुए हम और आँखे नम,तेरे प्यार मे मधुबाला ।
यू तो हुए कितने ही आशिक ,एक हुआ पर मतवाला।।
तुझ को पाना प्रण है मेरा, मैने है ये हठ ठाना।
पहनुंगा तुझ ले वरमाला या शव पर फूलो की माला।।
मेरे प्रेम की परिभाषा , तुम ही हो मेरी मधुबाला ।
तुम पर अर्पण तन मन धन और मेरा यह जीवन सारा।।
जीवन की इस कठिन राह पर तू ही तो है एक सहारा ।
अल्प समय आशाए ज्यादा,सतत प्रवाहित जीवन की धारा।।
मेरे मन की चंचलता और ये अनुपम रूप निराला ।
छलका दो अब प्रेम का अमृत या दे दो विष का प्याला।।
अंग अंग से मधुरस छलके , बालो मे जादू काला ।
उस पर ये मुस्कान मनोहर, सौन्दर्य की मूरत मधुबाला ।।
मेरे प्रेम की निश्छलता को शायद तूने ना जाना।
तुम ने मुझ को ठुकराया फिर भी तुम को अपना माना।।
भटके हुए हम और आँखे नम,तेरे प्यार मे मधुबाला ।
यू तो हुए कितने ही आशिक ,एक हुआ पर मतवाला।।
तुझ को पाना प्रण है मेरा, मैने है ये हठ ठाना।
पहनुंगा तुझ ले वरमाला या शव पर फूलो की माला।।
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