शनिवार, 11 मार्च 2017

अपनत्व

मेरी डायरी सन् २००४
स्वप्नन लोक की पूरी कल्पना,या फिर हो तुम मेरा भ्रम।
तुम ही मेरी सारी खुशियां,तुम ही मेरा सारा गम।।
                              तुम से मेरी शाम सुहानी,तुम से ही है ये बेरंग।
                              तेरे आने से जीवन  मे , खत्म हुआ मेरा सूनापन।।
तुम को देखा तो ये जाना,कितना मधुर है ये जीवन।
कितना प्यार किया है तुम से,छू कर देखो मेरा मन।।
                                मेरी हर एक साँस है तेरी, तेरा ही है ये जीवन
                                अन्तिम इच्छा है ये मेरी , तेरी डोली आए मेरे आँगन।।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें