मेरी डायरी
प्रेम के खेल की परिपाटी पर
सब अप्रत्याशित पाया है।
कुछ पा कर भी क्या पाऊंगा
जो खो कर मैने पाया है।।
अपने हाल पर खुश हू मै
कुछ अनमोल जो मैने पाया है।
तेरी हर एक याद को मैने
अपने दिल मे समाया है।
तेरे होठो पर इंकार सही
पर दिल मे प्यार समाया है
कुछ पल का ही साथ सही
पर साथ तो तेरा पाया है।
अब तो सब अपना ही है
कुछ भी नही पराया है।
तुम मुझ को ना मिले तो क्या
आँसू ने तो साथ निभाया है।
प्रेम के खेल की परिपाटी पर
सब अप्रत्याशित पाया है।
कुछ पा कर भी क्या पाऊंगा
जो खो कर मैने पाया है।।
अपने हाल पर खुश हू मै
कुछ अनमोल जो मैने पाया है।
तेरी हर एक याद को मैने
अपने दिल मे समाया है।
तेरे होठो पर इंकार सही
पर दिल मे प्यार समाया है
कुछ पल का ही साथ सही
पर साथ तो तेरा पाया है।
अब तो सब अपना ही है
कुछ भी नही पराया है।
तुम मुझ को ना मिले तो क्या
आँसू ने तो साथ निभाया है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें