बुधवार, 25 जुलाई 2018

झोलाछाप

बच्चा अपनी मां से कहता है
मां मैं भी झोलाछाप बन जाऊंगा।
फिर उस झोले में दवा भर लाऊंगा ।
हां , मैं भी झोलाछाप बन जाऊंगा ।।
गोरी को इंजैक्शन तो कलूटी को गोली खिलाऊंगा ।
मैं भी छोलाछाप बन जाउंगा ।
हर मर्ज में विटामिन, कैल्शियम और आयरन की दवा खिलाऊंगा ।
मैं भी पैसा खूब कमाऊंगा ।।
एक आध मर भी जाए तो मेरा क्या है।
झोला उठा कर कहीं और दुकान लगाउंगा ।
मैं भी यमराज कहलाऊंगा ।
हां , मैं झोलाछाप बन जाउंगा ।।
शिक्षित से तो  साक्षर अच्छा
अक्षर जोड़ दवा का नाम पढ़ पाऊंगा।
मैं भी झोलाछाप बन जाऊंगा।
डाक्टर बनना बड़ा है मंहगा, ना
आधी उम्र गंवाऊंगा
शिक्षा का लाखों रूपय बचाऊंगा ।
मैं झोलाछाप बन जाऊंगा ।।
इतना सुन कर गंभीर हो कर मां बोली
नासपीटे करमजले ,आला ले कर काट गले ।
१ गलत मृत्यु भी हत्या होती , भले सैकड़ों जीवन दे ।
ये व्यवस्था ही नाकारा है ,दोष भला हम किस को दें।
आधी उम्र और मोटा खर्च ,मेहनत कड़ी बनाती डाक्टर  थोड़े।
फिर गांव की धूल ,पथ पर शूल , यहां पे किस्मत कोई क्यो फोड़े।
खूब पैसा और शहर बसेरा ,क्लब की सुविधा क्यो छोड़े।
 भले विषम हो स्थितियां पर एक बात मैं कहती हूं
किसी महात्मा साधु संत से श्रेष्ठ चिकित्सक देखती हूं ।
अपनी विद्या से जीवन देता ,कर्मठ परोपकारी करनी पर ।
सिर्फ वही इकलौता है जो जीवित ईश्वर है धरनीं पर।











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