उस का ना था कोई घर
उस का सब कुछ था मन्दिर परिसर
उस दुखियारी का था एक छोटा बेटा
जिस ने बिना दवा के अपना बाप मरते देखा
वह मन्दिर की साफ सफाई करती थी
जो मिलता अपना और बच्चे का पेट भरती थी।
एक दिन उस से बच्चे ने पूछा
मां क्या मुझको दूध मिलेगा
बहुत दिनों से नहीं मिला है
क्या मुझ को वह आज मिलेगा।
अरे तेरी किस्मत में दूध कहां
उसे समझाते हुए बोली मां
अभी उन की बात भी ना हुई पूरी
एक सज्जन आ खड़े हुए उन से कुछ दूरी पर
सज्जन पुरुष का कद था छोटा
निकली तोंद थी जिस की शोभा
और उन सज्जन के हाथ में था
दुग्ध भरा एक बड़ा सा लोटा
आखिर बच्चे ने पूछ लिया
मेरे लिए यह दूध है क्या
इतना सुन कर वह मुस्कराए हौले-हौले
फिर आंख गड़ा कर तुनक कर बोले
परे हट जा रे चपड़गंजू
ये दूध पियेंगे भगवान् शंभू
वह दूध प्रभू पर चढ़ते देख रहा था
बार बार अपनी किस्मत को कोस रहा था
इधर लड़के के होंठ सूख रहे थे
उधर शंभू जी बड़े मजे से भींग रहे थे
वह दूध तो पी गए थे भगवान
पर उन का पुनः हो रहा था स्नान
जो कुछ अरघे में शेष बचा था
उस को अब चाट रहे थे श्वान
दूध पी कर और ले कर अंगड़ाई
उस को चिढ़ा रहा था श्वान
यह तो किस्मत का खेल है सब
समझ चुका था वह नादान ।
उस का सब कुछ था मन्दिर परिसर
उस दुखियारी का था एक छोटा बेटा
जिस ने बिना दवा के अपना बाप मरते देखा
वह मन्दिर की साफ सफाई करती थी
जो मिलता अपना और बच्चे का पेट भरती थी।
एक दिन उस से बच्चे ने पूछा
मां क्या मुझको दूध मिलेगा
बहुत दिनों से नहीं मिला है
क्या मुझ को वह आज मिलेगा।
अरे तेरी किस्मत में दूध कहां
उसे समझाते हुए बोली मां
अभी उन की बात भी ना हुई पूरी
एक सज्जन आ खड़े हुए उन से कुछ दूरी पर
सज्जन पुरुष का कद था छोटा
निकली तोंद थी जिस की शोभा
और उन सज्जन के हाथ में था
दुग्ध भरा एक बड़ा सा लोटा
आखिर बच्चे ने पूछ लिया
मेरे लिए यह दूध है क्या
इतना सुन कर वह मुस्कराए हौले-हौले
फिर आंख गड़ा कर तुनक कर बोले
परे हट जा रे चपड़गंजू
ये दूध पियेंगे भगवान् शंभू
वह दूध प्रभू पर चढ़ते देख रहा था
बार बार अपनी किस्मत को कोस रहा था
इधर लड़के के होंठ सूख रहे थे
उधर शंभू जी बड़े मजे से भींग रहे थे
वह दूध तो पी गए थे भगवान
पर उन का पुनः हो रहा था स्नान
जो कुछ अरघे में शेष बचा था
उस को अब चाट रहे थे श्वान
दूध पी कर और ले कर अंगड़ाई
उस को चिढ़ा रहा था श्वान
यह तो किस्मत का खेल है सब
समझ चुका था वह नादान ।