स्मृति पटल पर हो तुम अंकित
स्वप्नन जगत में हो छाई
किसी भी पल ना होती विस्मित
तुम हो मेरी परछाई
मन में मेरे विरह वेदना
और ह्रदय में तन्हाई
याद किया जब भी तुम को
मेरी आंखें भर आईं
खुद से ज्यादा चाहा तुम को
और सही खुद रुसवाई
समझ सकी ना फिर भी तुम
मेरे प्रेम की गहराई
तेरे प्रेम में पागल मन
क्यो मैंने तुम से प्रीत लगाई
तेरे दिल में धड़कन मेरी
अब तो देखो सच्चाई।
स्वप्नन जगत में हो छाई
किसी भी पल ना होती विस्मित
तुम हो मेरी परछाई
मन में मेरे विरह वेदना
और ह्रदय में तन्हाई
याद किया जब भी तुम को
मेरी आंखें भर आईं
खुद से ज्यादा चाहा तुम को
और सही खुद रुसवाई
समझ सकी ना फिर भी तुम
मेरे प्रेम की गहराई
तेरे प्रेम में पागल मन
क्यो मैंने तुम से प्रीत लगाई
तेरे दिल में धड़कन मेरी
अब तो देखो सच्चाई।
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