सोमवार, 6 मार्च 2017

मेरी डायरी 2003


      मेरे प्रेम की परिभाषा , तुम ही हो मेरी मधुबाला ।
     तुम पर अर्पण तन मन धन और मेरा यह जीवन सारा।।
जीवन की इस कठिन राह पर तू ही तो है एक सहारा ।
अल्प समय आशाए ज्यादा,सतत प्रवाहित जीवन की धारा।।
     मेरे मन की चंचलता और ये अनुपम रूप निराला ।
     छलका दो अब प्रेम का अमृत या दे दो विष का प्याला।।
अंग अंग से मधुरस छलके , बालो मे जादू काला ।
उस पर ये मुस्कान मनोहर, सौन्दर्य की मूरत मधुबाला ।।
मेरे प्रेम की निश्छलता को शायद तूने ना जाना।
तुम ने मुझ को ठुकराया फिर भी तुम को अपना माना।।
      भटके हुए हम और आँखे नम,तेरे प्यार मे मधुबाला ।
      यू तो हुए कितने ही आशिक ,एक हुआ पर मतवाला।।
तुझ को पाना प्रण है मेरा, मैने है ये हठ ठाना।
पहनुंगा तुझ ले वरमाला या शव पर फूलो की माला।।
                

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